लोग कहते हैं
मैंने अपना पहला निवाला दादी के हाथ से लिया था
दूध भात और थोड़ी सी चीनी
मैंने रोते रोते मुह से बाहर कर दिया था
मम्मी मारने के लिए उठी ही थी
और दादी ने अपनी गोद में छुपा लिया था मुझे
शाम के समय जब माँ
लालटेन में तेल डाल रही थी
और शरारत में मैंने पैर से ठोकर लगा के
शीशा फोड़ दिया था
मम्मी मारने के लिए उठी ही थी
सरपट भागा था मैं
और दादी ने अपनी गोद में छुपा लिया था मुझे
घर घर जाकर सौदा देने आई
सहुआईन से कितना झगडा किया था
क्यूंकि उसने छीन लिया था मेरी हाथ से
वो दो पांच पैसे के नारंगी चाकलेट
जो उसकी टोकरी से मैंने उठा ली थी
और चोरी के जुर्म में मम्मी मारने के लिए उठी ही थी
सरपट भागा था मैं
और दादी ने अपनी गोद में छुपा लिया था मुझे
आज भी महसूस होती हैं
वो कांपती खुरदरी हाथो की थपकियाँ
वो राजा रानी चूहे बिल्ली की कहानियां
वो बेजान सी हाथ अपने सर के ऊपर
पूरे पके हुए बालो की छांव,
लगभग जवाब दे गयी आँखों की चमक,
खाट से नहीं उठ पाने की बेबसी
पर मेरे लिए दुनिया उठा लेने की चाह,
लडखडाती जुबान से आशीर्वादों की बारिश
शायद कभी ना मिले